Monday, April 4, 2011
नई हिन्दी ग़ज़ल : संतुलन !!
संतुलन, संतुलन, संतुलन, संतुलन !!
ज़िन्दगी भर क़दम दर क़दम संतुलन।।
प्रेम की संकरी गलियों में तिरछे चलो,
द्वेष आगे खड़ा , पीठ पीछे जलन ।।
तुम जो आगे बढ़ो तो खिलें रास्ते ,
काइयां पैर खींचे भले आदतन।।
खिलखिलाना बड़ी साध की बात है,
खीझना-चीखना कुण्ठितों का चलन।।
नव-सृजन की करे जो भी आलोचना,
समझो आहत हुआ उसका चिर-बांझपन।।
रोशनी, धूप, पानी, हवा, आग को,
कै़द कर न सके , नाम उसका कुढ़न।।
हर सदी चाहती है नई हो लहर ,
ताकि क़ायम फ़िज़ा का रहे बांकपन।।
जब घृणा फेंके पत्थर तो झुक जाइये,
अपने संयम का करते रहें आंकलन।।
आत्मविश्वास रखता है, दोनों जगह ,
भीड़ में संतुलन , भाड़ में संतुलन।।
आग यूं तापिये कि न दामन जले,
आंच में संतुलन , सांच में संतुलन ।।
खाओ ऐसा कि पीना मज़ा दे सके ,
खान में संतुलन , पान में संतुलन ।।
(सात्विक गुरुजी का यह पद आध्यात्मिक ही होगा।)
बस्ती सोई रही तो लुटीं ज़िदगी ,
नींद में संतुलन , जाग में संतुलन ।।
रंग ही रंग हो कोई कीचड़ न हो,
बाग में संतुलन ,फाग में संतुलन ।।
इस होली में जब गुरुदेव को टीका करने और आशीर्वाद लेने पहुंचे तो उन्होंने चुपके से यह रचना थमा दी और जब आग्रह किया तो मधुर स्वर में गाकर भी विभोर कर दिया। संगीत में उनके रंग और निखर जाते हैं।
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Shabdon me santulan ..arthon me santulan...bhavon me santulan...bahut sundar gajal..gurudev ko naman..aabhar
ReplyDeleteरंग ही रंग हो कोई कीचड़ न हो,
ReplyDeleteबाग में संतुलन ,फाग में संतुलन ।।
गुरूजी कि बातें पूर्णरूपेण सत्य हैं. जिंदगी का नाम ही संतुलन है. और जहाँ संतुलन बिगड़ा सब कुछ समाप्त.
जब घृणा फेंके पत्थर तो झुक जाइये,
ReplyDeleteअपने संयम का करते रहें आंकलन।।
आत्मविश्वास रखता है, दोनों जगह ,
भीड़ में संतुलन , भाड़ में संतुलन।।
आग यूं तापिये कि न दामन जले,
आंच में संतुलन , सांच में संतुलन ।।
खाओ ऐसा कि पीना मज़ा दे सके ,
खान में संतुलन , पान में संतुलन ।।
kya bat hai!! har bat mein santulan
रंग ही रंग हो कोई कीचड़ न हो,
ReplyDeleteबाग में संतुलन ,फाग में संतुलन
आग यूं तापिये कि न दामन जले,
ReplyDeleteआंच में संतुलन , सांच में संतुलन ।।
खूब...... सारी पंक्तियाँ अर्थपूर्ण हैं......
हर सदी चाहती है नई हो लहर ,
ReplyDeleteताकि क़ायम फ़िज़ा का रहे बांकपन।।
रंग ही रंग हो कोई कीचड़ न हो,
बाग में संतुलन ,फाग में संतुलन ।।
बहुत सुन्दर संतुलित रचना