Sunday, December 6, 2009

जीवन गणित

. जबकि- 1

जबकि जनसंख्या
बढ़ रही है बेतहासा
तब प्रतिनिधि चुनने में
क्यों है निराशा ।

ब. जबकि - 2

जबकि सच बराबर तप नहीं ,
झूठ बराबर पाप ।
तब क्षमा करें श्रीमान !
उल्टा कयों कर रहे हैं आप ?

स. क्योंकि

तुम जब चाहे चुनाव करवा लो ,
हम रोक नहीं सकते
हद है
जिन्हे पैदा किया है उन्हें
टोक नहीं सकते !

द. यदि

यदि एक सरल रेखीय सरकार
पांच समानांतर रेखाओं को काटती है
तो बताइये ,वह अपना मजबूर भ्रष्टाचार
कितने सम्मुखकोणों को बांटता है ?


इ. मानलो-1

मान लो कोई क्ष बन जाता है
प्रधानमंत्री इस देश का
इसमें क्या जोड़ तोड़ करे कि
सम्मान हो उसके हर आदेश का ।

फ. मान लो -2

मुंह उठाकर थूका गया आपका अहंकार
मानलो एक दिन आसमान तोड़ लेगा
तो बताओ तुम्हारे काल्पनिक सौरमंडल का गतिचक्र
किस दिशा में कौन सा मोड़ लेगा ?

ग. मान निकालिये

उस राष्ट्र का मान निकालिये
जिसका हर प्रतिनिधि भ्रष्ट है
उसके नागरिक का क्या मूल्य
उसे कितने गुना कष्ट है ?

ह. इसलिए

वह डंके की चोट पर
कानून के विरुद्ध जाता है ,
कोई बोल न सके विरोधी
इसलिए आंख दिखाता है ।

ई. चूंकि-1

चूंकि आप एक सभ्य नागरिक हैं
पतनशील समाज के
इसलिए सीख लीजिए सारे
समीकरण आज के ।

ज. चूंकि -2

चूंकि उस कुआंरे की प्लेट में
कोई संस्कारित ख्रड़ी नहीं है
इसलिए उसे कुर्सी से चिपके रहने की
कोई हड़बड़ी नहीं है

5 comments:

  1. मान निकालिये

    उस राष्ट्र का मान निकालिये
    जिसका हर प्रतिनिधि भ्रष्ट है
    उसके नागरिक का क्या मूल्य
    उसे कितने गुना कष्ट है ?

    bahut achchhe dhang se ganit ko mathatematics ke suposes ke sath apne baithaya hai. kamal ki soch hai sahiba

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  2. nav varsh ki aap ko hardik badhai.achchhivcrachanaon ki bhi badhai.

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  3. धर एक अभिव्यक्ती सटीक और सुन्दर बहुत बहुत बधाई इस रचना के लिये।कृप्या वर्ड वेरिविकेशन हटा लें तो कमेन्ट देने मे सुविधा रहती है धन्यवाद्

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