. जबकि- 1
जबकि जनसंख्या
बढ़ रही है बेतहासा
तब प्रतिनिधि चुनने में
क्यों है निराशा ।
ब. जबकि - 2
जबकि सच बराबर तप नहीं ,
झूठ बराबर पाप ।
तब क्षमा करें श्रीमान !
उल्टा कयों कर रहे हैं आप ?
स. क्योंकि
तुम जब चाहे चुनाव करवा लो ,
हम रोक नहीं सकते
हद है
जिन्हे पैदा किया है उन्हें
टोक नहीं सकते !
द. यदि
यदि एक सरल रेखीय सरकार
पांच समानांतर रेखाओं को काटती है
तो बताइये ,वह अपना मजबूर भ्रष्टाचार
कितने सम्मुखकोणों को बांटता है ?
इ. मानलो-1
मान लो कोई क्ष बन जाता है
प्रधानमंत्री इस देश का
इसमें क्या जोड़ तोड़ करे कि
सम्मान हो उसके हर आदेश का ।
फ. मान लो -2
मुंह उठाकर थूका गया आपका अहंकार
मानलो एक दिन आसमान तोड़ लेगा
तो बताओ तुम्हारे काल्पनिक सौरमंडल का गतिचक्र
किस दिशा में कौन सा मोड़ लेगा ?
ग. मान निकालिये
उस राष्ट्र का मान निकालिये
जिसका हर प्रतिनिधि भ्रष्ट है
उसके नागरिक का क्या मूल्य
उसे कितने गुना कष्ट है ?
ह. इसलिए
वह डंके की चोट पर
कानून के विरुद्ध जाता है ,
कोई बोल न सके विरोधी
इसलिए आंख दिखाता है ।
ई. चूंकि-1
चूंकि आप एक सभ्य नागरिक हैं
पतनशील समाज के
इसलिए सीख लीजिए सारे
समीकरण आज के ।
ज. चूंकि -2
चूंकि उस कुआंरे की प्लेट में
कोई संस्कारित ख्रड़ी नहीं है
इसलिए उसे कुर्सी से चिपके रहने की
कोई हड़बड़ी नहीं है
bahut lajawab ...
ReplyDeleteमान निकालिये
ReplyDeleteउस राष्ट्र का मान निकालिये
जिसका हर प्रतिनिधि भ्रष्ट है
उसके नागरिक का क्या मूल्य
उसे कितने गुना कष्ट है ?
bahut achchhe dhang se ganit ko mathatematics ke suposes ke sath apne baithaya hai. kamal ki soch hai sahiba
nav varsh ki aap ko hardik badhai.achchhivcrachanaon ki bhi badhai.
ReplyDeleteधर एक अभिव्यक्ती सटीक और सुन्दर बहुत बहुत बधाई इस रचना के लिये।कृप्या वर्ड वेरिविकेशन हटा लें तो कमेन्ट देने मे सुविधा रहती है धन्यवाद्
ReplyDeletethanks happy new year
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